शाहजहाँ और मुमताज की दिलचस्प कहानी यहाँ जानें 

मुग़ल काल में शाहजहाँ का शाशन गोल्डन पीरियड कहा जाता है क्योंकि शाहजहाँ नर्म दिल का राजा था शाहजहाँ और मुमताज की मुहब्बत की आज भी मिसाल दी जाती है

शाहजहाँ और मुमताज की पहली मुलाकात मीना बाजार में हुई थी  जहाँ दोनों को एक दोसरे से प्यार हो गया था

जब शाहजहाँ को पता चला की मुमताज उनकी माँ और रानी नूर जहाँ की रिश्तेदार हे तो उन्होंने फिर मुमताज को शादी का प्रस्ताव भिजवाया 

शाहजहाँ के प्रस्ताव के बाद दोनों की सगाई हुई और 5 साल बाद 10  मई 1612 को दोनों की शादी हो गयी  

शादी के बाद मुमताज महल का नाम बदल कर अर्जुमंद बानो कर दिया गया

मुमताज महल की इन्तेकाल 17 जून 1631 को हुई उन्होंने 14 बच्चो को जन्म दिया

मुमताज की मृत्यु के बाद शाहजहाँ ने उनकी याद में 1632 में ताजमहल बनबाया जो 1643 में बनकर तेयार हुआ था

ताज महल के नीचे ही मुमताज की कब्र है यहाँ के बहुत से कमरे तभी से बंद हे जो आज तक नहीं खोले गए