मूल अधिकार कितने हैं The Importance of Fundamental Rights Articale 19 Free PDF

प्रस्तावना (Introduction)

मूल अधिकार कितने हैं मूल अधिकार हर व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण होते हैं। ये अधिकार समाज में समानता, न्याय, और सभ्यता के मूल स्तम्भ होते हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम जानेंगे कि मूल अधिकार क्या होते हैं और इनका समाज में क्या महत्व है।

संविधान के भाग III में सन्निहित मूल अधिकार  सभी भारतीयों के लिए नागरिक अधिकार सुनिश्चित करते हैं और सरकार को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अतिक्रमण करने से रोकने के साथ नागरिकों के अधिकारों की समाज द्वारा अतिक्रमण से रक्षा करने का दायित्व भी राज्य पर डालते हैं।

संविधान द्वारा मूल रूप से सात मूल अधिकार प्रदान किए गए थे समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धर्म, संस्कृति एवं शिक्षा की स्वतंत्रता का अधिकार, संपत्ति का अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार।  हालांकि  संपत्ति के अधिकार को 1978 में 44वें संशोधन द्वारा संविधान के तृतीय भाग से हटा दिया गया था

मूल अधिकार कितने हैं

क्या हैं हमारे मौलिक अधिकार

मौलिक अधिकार हमें शान्ति, समानता और सम्मान से जीने का हक़ देते हैं। मौलिक अधिकार सुनिश्चित करते हैं कि भारत के किसी भी नागरिक के साथ जाती, वंश, धर्म, भाषा, प्रांत, रंग अथवा लिंग आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।

मूल अधिकारों का वर्णन संविधान के भाग तीन में अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35 के बीच किया गया है। आइये जानते हैं कि हमारे मूल अधिकार कौन से हैं। भारत के संविधान के मुताबिक़ हमारे 6 मूल अधिकार इस प्रकार हैं-

1. समता या समानता का अधिकार

2. स्वतंत्रता का अधिकार

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार

4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार

5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार

6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार

आइये विस्तार से जानते हैं कि प्रत्येक मौलिक अधिकार किस अनुच्छेद में वर्णित है और क्या कहता है।

मूल अधिकार कितने हैं?

भारतीय संविधान में कुल मिलाकर निम्नलिखित 6 मूल अधिकार हैं। ये मूल अधिकार हैं: मूल अधिकार कितने हैं

समानता का अधिकार

समानता का अधिकार संविधान की प्रमुख गारंटियों में से एक है। यह अनुच्छेद 14-18 में सन्निहित हैं जिसमें सामूहिक रूप से कानून के समक्ष समानता तथा गैर-भेदभाव के सामान्य सिद्धांत शामिल हैं तथा अनुच्छेद 17-18 जो सामूहिक रूप से सामाजिक समानता के दर्शन को आगे बढ़ाते हैं।  

अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है इसके साथ ही भारत की सीमाओं के अंदर सभी व्यक्तियों को कानून का समान संरक्षण प्रदान करता है

स्वतंत्रता का अधिकार

संविधान के निर्माताओं द्वारा महत्वपूर्ण माने गए व्यक्तिगत अधिकारों की गारंटी देने की दृष्टि से स्वतंत्रता के अधिकार को अनुच्छेद 19-22 में शामिल किया गया है और इन अनुच्छेदों में कुछ प्रतिबंध भी शामिल हैं जिन्हें विशेष परिस्थितियों में राज्य द्वारा व्यक्तिगं स्वतंत्रता पर लागू किया जा सकता है।

अनुच्छेद 19 नागरिक अधिकारों के रूप में छः प्रकार की स्वतंत्रताओं की गारंटी देता है जो केवल भारतीय नागरिकों को ही उपलब्ध हैं मूल अधिकार कितने हैं

शोषण के विरुद्ध अधिकार

शोषण के विरुद्ध अधिकार  अनुच्छेद 23-24 में निहित हैं, इनमें राज्य या व्यक्तियों द्वारा समाज के कमजोर वर्गों का शोषण रोकने के लिए कुछ प्रावधान किए गए हैं। अनुच्छेद 23 के प्रावधान के अनुसार मानव तस्करी को प्रतिबन्धित है  इसे कानून द्वारा दंडनीय अपराध बनाया गया है  सा

थ ही बेगार या किसी व्यक्ति को पारिश्रमिक दिए बिना उसे काम करने के लिए मजबूर करना जहां कानूनन काम न करने के लिए या पारिश्रमिक प्राप्त करने के लिए हकदार है भी प्रतिबंधित किया गया है। मूल अधिकार कितने हैं

धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार

धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 25-28 में निहित है जो सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान करता है और भारत में धर्मनिरपेक्ष राज्य सुनिश्चित करता है। संविधान के अनुसार  यहां कोई आधिकारिक राज्य धर्म नहीं है और राज्य द्वारा सभी धर्मों के साथ निष्पक्षता और तटस्थता से व्यवहार किया जाना चाहिए।

सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार

अनुच्छेद 29 व 30 में दिए गए सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार उन्हें अपनी विरासत का संरक्षण करने और उसे भेदभाव से बचाने के लिए सक्षम बनाते हुए सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के उपाय हैं। अनुच्छेद 29 अपनी विशिष्ट भाषा लिपि और संस्कृति रखने वाले नागरिकों के किसी भी वर्ग को उनका संरक्षण और विकास करने का अधिकार प्रदान करता है मूल अधिकार कितने हैं

संवैधानिक उपचारों का अधिकार

संवैधानिक उपचारों का अधिकार नागरिकों को अपने मूल अधिकारों के प्रवर्तन या उल्लंघन के विरुद्ध सुरक्षा के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय में जाने की शक्ति देता है।  अनुच्छेद 32 स्वयं एक मूल अधिकार के रूप में, अन्य मूल अधिकारों के प्रवर्तन के लिए गारंटी प्रदान करता है,

संविधान द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को इन अधिकारों के रक्षक के रूप में नामित किया गया है  सर्वोच्च न्यायालय को मूल अधिकारों के प्रवर्तन के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरणपरमादेशनिषेधउत्प्रेषण और अधिकार पृच्छा प्रादेश (रिट, writ) जारी करने का अधिकार दिया गया है, जबकि उच्च न्यायालयों को अनुच्छेद 226 – जो एक मैलिक अधिकार नहीं है – मूल अधिकारों का उल्लंघन न होने पर भी इन विशेषाधिकार प्रादेशों को जारी करने का अधिकार दिया गया है।

ऐसे ही कुछ अधिकार ये भी हे

मानव अधिकार (Human Rights)

मानव अधिकार वह अधिकार हैं जो हर व्यक्ति को समान तौर पर प्राप्त होते हैं, चाहे वो जन्मजात हो या विशेष अवस्था में हो। ये अधिकार सभी मानवों को विचार, धर्म, जाति, लिंग, रंग, राष्ट्रीयता, या किसी अन्य परिचय के आधार पर समानता और न्याय के साथ जीने का अधिकार देते हैं। मूल अधिकार कितने हैं

संघर्षशील अधिकार (Fundamental Rights)

संघर्षशील अधिकार भारतीय संविधान में स्थायी और अविच्छिन्न हैं। इनमें सभी भारतीय नागरिकों को न्यायपूर्वक और समान तौर पर जीने का अधिकार है। इसमें व्यक्ति के धर्म, विचार, अभिव्यक्ति, धर्मनिरपेक्षता, और जीवन की रक्षा के अधिकार शामिल होते हैं।

नागरिक अधिकार (Civil Rights)

नागरिक अधिकार व्यक्ति को समाज में समान तौर पर शामिल होने और रहने का अधिकार देते हैं। इनमें विचार, भाषण, भाषा, धर्म, संगठन, और संघर्ष के अधिकार शामिल होते हैं। ये अधिकार समाज में समानता और न्याय की भावना को सबलता प्रदान करते हैं।मूल अधिकार कितने हैं

राजनैतिक अधिकार (Political Rights)

राजनैतिक अधिकार व्यक्ति को सरकार में भागीदारी करने का अधिकार देते हैं। इनमें वोट डालने, सरकारी पदों के लिए प्रत्याशी बनने, और सरकारी निर्णयों में सहयोग करने का अधिकार शामिल होते हैं। ये अधिकार लोकतंत्र के मूल स्तम्भ होते हैं और एक सशक्त नागरिकता का प्रतीक हैं। मूल अधिकार कितने हैं

सामाजिक अधिकार (Social Rights)

सामाजिक अधिकार व्यक्ति को समाज में सम्मान और गरिमा के साथ जीने का अधिकार देते हैं। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, और सामाजिक सुरक्षा के अधिकार शामिल होते हैं। सामाजिक अधिकार समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मूल अधिकार कितने हैं

सांस्कृतिक अधिकार (Cultural Rights)

सांस्कृतिक अधिकार व्यक्ति को अपनी संस्कृति और भाषा को सम्मान के साथ संरक्षित रखने का अधिकार देते हैं। इनमें भाषा, संस्कृति, परम्परा, और संस्कृति के संरक्षण के अधिकार शामिल होते हैं। ये अधिकार समृद्धि और सांस्कृतिक विकास के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

आर्थिक अधिकार (Economic Rights)

आर्थिक अधिकार व्यक्ति को आर्थिक रूप से स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के साथ जीने का अधिकार देते हैं। इनमें रोजगार, व्यापार, संपत्ति, और उत्पादन के अधिकार शामिल होते हैं। ये अधिकार गरीबी के उन्मूलन और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

पर्यावरणीय अधिकार (Environmental Rights)

पर्यावरणीय अधिकार व्यक्ति को स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण में रहने का अधिकार देते हैं। इनमें प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, पर्यावरणीय संतुलन, और पर्यावरण के सफलता से जुड़े अधिकार शामिल होते हैं। ये अधिकार पृथ्वी के संरक्षण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।

महिला अधिकार (Women’s Rights)

महिला अधिकार व्यक्ति को समाज में समानता, सम्मान, और स्वतंत्रता के साथ जीने का अधिकार देते हैं। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और सामाजिक सुरक्षा के अधिकार शामिल होते हैं। महिला अधिकार समाज के विकास और समृद्धि के लिए अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। मूल अधिकार कितने हैं

बाल अधिकार (Children’s Rights)

बाल अधिकार व्यक्ति को बच्चों की सुरक्षा, संरक्षण, और विकास के अधिकार देते हैं। इनमें शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य, और खेल-कूद के अधिकार शामिल होते हैं। बाल अधिकार समाज के भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

वृद्ध अधिकार (Elderly Rights)

वृद्ध अधिकार व्यक्ति को वृद्ध लोगों की सम्मान, संरक्षण, और सुरक्षा के अधिकार देते हैं। इनमें सम्मान, स्वास्थ्य, विश्राम, और वृद्धाश्रम के अधिकार शामिल होते हैं। मूल अधिकार कितने हैं वृद्ध अधिकार समाज की देखभाल और ध्यान के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

विकलांग अधिकार (Rights of Persons with Disabilities)

विकलांग अधिकार व्यक्ति को समाज में समानता, स्वावलंबन, और सम्मान के साथ जीने का अधिकार देते हैं। इनमें शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, और सामाजिक समर्थन के अधिकार शामिल होते हैं। विकलांग अधिकार समाज की भूमिका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

ट्रांसजेंडर अधिकार (Transgender Rights)

ट्रांसजेंडर अधिकार व्यक्ति को समाज में समानता, स्वतंत्रता, और सम्मान के साथ जीने का अधिकार देते हैं। इनमें शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, और विकास के अधिकार शामिल होते हैं। मूल अधिकार कितने हैं ट्रांसजेंडर अधिकार समाज में समानता और समरसता के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

समाप्ति (Conclusion)

मूल अधिकारों का सम्मान और संरक्षण समाज के समृद्धि और समानता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन अधिकारों के माध्यम से हर व्यक्ति समाज में समानता, न्याय, और सभ्यता के साथ जी सकता है। एक समृद्धि और समान समाज के निर्माण में मूल अधिकारों का बड़ा योगदान होता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. मूल अधिकार क्या होते हैं?

मूल अधिकार हर व्यक्ति को समानता, न्याय, और सभ्यता के साथ जीने का अधिकार देते हैं। इनमें मानव अधिकार, संघर्षशील अधिकार, नागरिक अधिकार, राजनैतिक अधिकार, सामाजिक अधिकार, सांस्कृतिक अधिकार, आर्थिक अधिकार, पर्यावरणीय अधिकार, महिला अधिकार, बाल अधिकार, वृद्ध अधिकार, विकलांग अधिकार, और ट्रांसजेंडर अधिकार शामिल होते हैं।

2. मूल अधिकार का महत्व क्या है?

मूल अधिकार समाज में समानता, न्याय, और सभ्यता को सबलता प्रदान करते हैं। ये अधिकार समाज के समृद्धि और समानता के लिए महत्वपूर्ण होते हैं और व्यक्ति को स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के साथ जीने का मौका देते हैं।

3. विकलांग अधिकार क्यों महत्वपूर्ण हैं?

विकलांग अधिकार व्यक्ति को समाज में समानता और समरसता के साथ जीने का अधिकार देते हैं। इनमें शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, और सामाजिक समर्थन के अधिकार शामिल होते हैं जो विकलांग व्यक्ति के समृद्धि और समानता में मदद करते हैं।

4. क्या मूल अधिकार अलग-अलग देशों में अलग होते हैं?

हां, मूल अधिकार अलग-अलग देशों में अलग होते हैं। प्रत्येक देश के संविधान और कानून ने अपने-अपने अधिकार और कर्तव्यों को परिभाषित किया होता है और इसके अनुसार उन्हें संरक्षित किया जाता है।

5. मूल अधिकारों का पालन कैसे किया जा सकता है?

मूल अधिकारों का पालन समाज में संस्थानिक बदलाव, शिक्षा, जागरूकता, और सशक्तिकरण के माध्यम से किया जा सकता है। सरकारी नीतियों और कानूनों को सकारात्मक रूप से प्रचारित करने से लेकर सामाजिक अभियानों और नागरिक संगठनों के माध्यम से मूल अधिकारों के पालन को सुनिश्चित किया जा सकता है।

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